मोहब्बत खींच ही लाती है अपने आशियाने में..
मगर वो क्या जाने जो अकेले है इस ज़माने में ।
बचपन में जब चाहा हँस लेते थे, जहां चाहा रो लेते थे,
और अब, मुस्कुराहट तमीज़ ढूँढती है और आंसू तन्हाई।
- Bachpan Shayari
अंदाज-ए-बयां में इनके भी गजब का नशा है
तन्हाई से कभी दिल लगा के तो देखिये
– Yamini
- Nasha Shayari
चलो अच्छा हुआ कि शाम हीं तन्हा गुज़री
मिल के बिछड़ते तो रात कटनी मुश्किल होती
- Raat Shayari, Shaam Shayari
कभी कभी तन्हाई भी
कितना कुछ कह जाती है
चारों तरफ हो सन्नाटा तब
धड़कन शोर मचाती है
– नीतू ठाकुर
Andhere ke buna roshani ka vajood kha h…
Dhukh ke bina khusi ka ahshas kha h..
Or tmhare bina jindigi me tanhai ke alawa kya hh