जैसे कहीं रख कर भूल गएे हो वो
बेफिक्र वक्त अब मिलता ही नहीं
ख्वाहिशें कुछ कुछ यूं भी अधूरी रही
पहले उम्र नहीं थी, अब उम्र नहीं रही
- तमन्ना शायरी
अपने ख़िलाफ बातें, मैं अक्सर खामोशी से सुनता हूँ..
जवाब देने का हक, मैने वक्त को दे रखा है…
कितना भी पकङ लो फिसलता ज़रूर है…
ये वक्त है साहब बदलता ज़रूर है…
- Badalna Shayari