वक्त की आंच में पत्थर भी पिधल जाते हैं,
खुशी के लम्हे ग़म में बदल जाते हैं,
कौन करता है याद किसी को,
वक्त के साथ खयालात भी बदल जाते हैं।
- Badalna Shayari, याद शयरी
समेट लो इन नाज़ुक पलों को
न जाने ये लम्हे कल हो न हो
हो भी ये लम्हे क्या मालूम
शामिल उन पलों मे हम हों न हों
जो व्यस्त थे, वो व्यस्त ही निकले,
वक्त पर फ़ालतू लोग ही काम आये
वक्त तो होता ही है बदलने के लिए
ठहरते तो बस लम्हे हैं
- Badalna Shayari
वक्त सबको ही मिलता है, ज़िंदगी बदलने के लिए,
पर ज़िंदगी कभी दोबारा नही मिलती, वक्त बदलने के लिए
- Badalna Shayari