दुःख तो सब जताते हैं
कोई आँसू नहीं पोछता
अपनी रोटी में से एक दे दूं
कोई नहीं सोचता
जिस दिन लोगों की
सोच बदल जायेगी
गरीबी और भुखमरी
नजर नहीं आएगी
कितना लुटाते हो
खुशियाँ मनाने में
और जेब फट जाती है
रोटी खिलाने में
अजब तेरी कुदरत
गजब तेरी माया
तूने भी कैसा इंसान बनाया
-नीतू ठाकुर