शीशा अौर रिशता दोनों हि बङे नाज़ुक होते हैं
दोनों में सिर्फ एक ही फर्क है,
शीशा गलती से टूट जाता है
अौर रिशता गलतफहमियों से
- गलती पर शायरी
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अगर लगता है तुम्हें, गलत हूॅ मैं
तो सही हो तुम, थोङा अलग हूॅ मैं
- गलती पर शायरी
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गलती निकालने के लिए भेजा चाहिए
अौर गलती मानने के लिए कलेजा चाहिए
- गलती पर शायरी, फनी शायरी
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अज्ञानी व्यक्ति गलती छिपाकर बड़ा बनना चाहता है
और
ज्ञानी व्यक्ति गलती मिटाकर बड़ा बनना चाहता है।
?शुभप्रभात?
- गलती पर शायरी
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तनहा-तनहा रहता हूँ
दुनिया से मैं डरता हूँ
हर सू हैं काँटे बिखरे
डरता सा पग धरता हूँ
गलती कोई कब की है
लेकिन कारा सहता हूँ
निर्दोषी हूँ मैं बिल्कुल
सबसे कहता रहता हूँ
मुंसिफ बिकते पैसों में
पर मैं लब सी रखता हूँ
जितना ही बचना चाहूँ
उतने कोड़े सहता हूँ
जाने क्या है बात ख़लिश
ज़ल्द न फिर भी मरता हूँ.
- Duniya Shayari, Philosophy Shayari, गलती पर शायरी
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