वो शाख़ है न फूल अगर तितलियाँ न हो
वो घर भी कोई घर है जहाँ बच्चियाँ न हो
– बशीर बद्र
- बेटी पर शायरी कविता
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कौन कहता है की
दिल दो नही होते
पति की दहलीज पर बैठी
पापा की बेटी से पूछो
- बेटी पर शायरी कविता
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कीमत तो खूब बड़ गई शहरों मे धान की
बेटी विदा न हो सकी फिर भी किसान की
– Vikash
- किसान पर शायरी, बेटी पर शायरी कविता
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कोई बोलता है इस्लाम खतरे में है..
कोई बोलता है मेरे राम खतरे में है ..
एक बेटी बोली मैं क्या करुँ..
मेरी तो सुबह शाम खतरे में है…!!
- बेटी पर शायरी कविता
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पीतल की बालियों में ब्याह दी बेटी….
बाप मजदूर था सोने की खान में…!!
– Supriya
- बेटी पर शायरी कविता
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बहुत अच्छा संग्रह लिखा है आपने