मुझसे पूछा था कभी मेरी नन्ही बेटी ने।
क्या परदेस में हमारा ही चाँद दिखता है।
- Chand Shayari, बेटी पर शायरी कविता
Nannhi hoti hein titliyan Magar
Hosley unke kam nahi hotey
Shukr karo Khuda ka,
Jahan betiyan hon waha gum nahi hotey
- बेटी पर शायरी कविता
बेटी के हाथ पीले करना चाहता था
इस बार की फसल से उसका ब्याह रचाना चाहता था
– शालिनी
- बेटी पर शायरी कविता
रहमत ख़ुदा की मिल गई मुझे बेटी की शक़्ल में..!!
जाहिल है जो कहते है कि बेटा नही हुआ..!!
- Khuda Shayari, बेटी पर शायरी कविता
बेटी जाने को जाएगी,
सूना आँगन कर जाएगी|
उड़कर बाबुल के पिंजड़े से,
अपना नव नीड़ बसाएगी|
मिल जाएगा प्यारा साथी,
जो उसके नाज़ उठाएगा|
नव वसंत के मौसम से,
उसका जीवन खिल जाएगा|
पर, माता की सूनी चौखट,
बचपन की गाथा गाएगी|
बेटी जाने को जाएगी……….
बिस्तर के सिलवट रोएँगे,
हर पल वह सीधा करती थी|
थी रसोई खुश हो जाती,
जब पाँव वो अपने धरती थी|
सींक में बरतन की खरखर,
आनंद न वह दे पाएगी|
बेटी जाने को जाएगी……….
मौन बहन, भाई उदास,
जो उधम मचाया करते थे|
माँ का दुलार किस पर ज्यादा,
इस मसले पर जो लड़ते थे|
इन छोटे-मोटे झगड़ों की,
अब नौबत ना आ पाएगी |
बेटी जाने को जाएगी……….
लड़कर माँ से, पिता से छिपकर,
पोशाक का ऑर्डर देती थी|
ऑनलाइन मँगवाती थी,
पैसे तो ठग ही लेती थी|
वह अनुशासित होकर अब से,
अपना संसार चलाएगी|
बेटी जाने को जाएगी……….
हँसेगी माँ या रोएगी,
पर आँसू से तन धोएगी|
पिता बिलख धीरज देंगे,
वह उसकी याद संजोएगी|
लेकिन यह धीरज कैसे,
माँ बेचारी रख पाएगी?
बेटी जाने को जाएगी……….
सूना आँगन कर जाएगी…….
=========================
✍ ओम प्रकाश ‘ओम’
=========================
- बेटी पर शायरी कविता
बहुत अच्छा संग्रह लिखा है आपने