खुशनसीब हैं वो जो वतन पर मिट जाते हैं,
मर कर भी वो लोग अमर हो जाते हैं,
करता हूँ उन्हें सलाम ए वतन पे मिटने वालों,
तुम्हारी हर साँस में तिरंगे का नसीब बसता है
- Desh Bhakti Shayari वतन पर शायरी
क्यों मरते हो यारो सनम के लिए
दुपट्टा भी नहीं देगी कफ़न के लिए
मरना है तो यारो मरो अपने वतन के लिए
तिरंगा तो मिलेगा कफन के लिए ..
- Desh Bhakti Shayari वतन पर शायरी, Kafan Shayari
तैरना है तो समंदर में तैरो नदी नालों में क्या रखा है
प्यार करना है तो वतन से करो इस बेवफ़ा लोगों में क्या रखा है
- Desh Bhakti Shayari वतन पर शायरी
अब इश्क करूंगा वतन से
मैने यही ठाना है
मालूम है कि राह में
शूल बेशुमार में
फिर भी….
वतन के लिए मर मिटना
मैने यही जाना है
इस जिन्दगी में मरहम मिले या दर्द
इससे मेरा क्या वास्ता
अब बस वतन से वफा करनी है
मैने यही माना है
- Desh Bhakti Shayari वतन पर शायरी
है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर,
और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर.
ख़ून से खेलेंगे होली अगर वतन मुश्क़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है ..
- Desh Bhakti Shayari वतन पर शायरी