कभी कभी तन्हाई भी
कितना कुछ कह जाती है
चारों तरफ हो सन्नाटा तब
धड़कन शोर मचाती है
– नीतू ठाकुर
चलो बाॅट लेते हैं अपनी सज़ाऐं
ना तुम याद अाअो, ना हम याद आएें
- Saza Shayari, याद शयरी
तन्हाईओं मे उनको ही याद करते हैं,
वो सलामत रहें यही फरियाद करते हैं,
हम उनके ही मोहब्बत का इंतेज़ार करते हैं,
उनको क्या पता हम उनसे कितना प्यार करते हैं
- याद शयरी
अभी मसरूफ हूॅ,
कभी फुरसत में सोचूॅगा
कि
तुझको याद रखने में,
मैं क्या क्या भूल जाता हूॅ
- याद शयरी
हर रोज चुपके से निकल आते नये पत्ते
यादों के दरख्तों में क्यूं पतझङ नहीं होते…
- याद शयरी
Andhere ke buna roshani ka vajood kha h…
Dhukh ke bina khusi ka ahshas kha h..
Or tmhare bina jindigi me tanhai ke alawa kya hh