वक्त से सीखो बदलते रहने का सबक..
वक्त कभी खुद को बदलते नहीं थकता
- Badalna Shayari
गुज़र जाते हैं …. खूबसूरत लम्हे… यूं ही मूसाफिरों की तरह…
यादें वहीं खङी रह जाती हैं … रुके रास्तों की तरह…
- याद शयरी
वक्त अौर अपने…जब दोनों एक साथ चोट पहुंचाए
तो इंसान बाहर से ही नहीं अन्दर से भी पत्थर बन जाता है
शोर की तो उम्र होती है,
खामोशी सदाबहार है…!!
- खामोशी शायरी
कमबख्त वक्त कब एक सा रहता है
कभी चादर बढ़ जाती है, कभी पैर बढ़ जाता है