जब मिला शिकवा अपनो से हो तो खामोशी ही भली
अब हर बात पे जंग हो यह ज़रूरी तो नहीं
- Shikayat Shayari
गरीब नहीं जानता क्या है मज़हब उसका
जो बुझाए पेट की आग वही है रब उसका
- Garibi Shayari In Hindi
चीज़ों से हो रही है पहचान आदमी की,
आैकात अब हमारी बाजा़र लिख रहे हैं…
- Pehchan Shayari, औकात शायरी