गजब का होता है रिश्ता उनसे,
जिनसे कोई रिश्ता नहीं होता
कुछ रिश्तों में शककर कम थी…
कुछ अंदर से हम भी कङवे थे…
कभी-कभी रिश्तों की कीमत वो लोग समझा देते हैं
जिनसे हमारा कोई रिश्ता नहीं होता
रूबरू होने की तो छोङिये, लोग गूफ्तगू से भी कतराने लगे हैं…
गुरूर आेढ़े हैं रिश्ते, अपनी हैसियत पर इतराने लगे हैं
- Baat Nahin Karne Ki Shayari, अहंकार शायरी, अौकात शायरी