टीचर: – अपने पापा का नाम अंग्रेजी में बोलो? स्टूडेंट: – ब्यूटिफुल रेड अंडरवियर ! टीचर: – क्या बकवास है, िहंदी में बताओ? स्टूडेंट: – सुंदर लाल चढ्डा ।
??हँसी रोक नहीं पाओगे??
संस्कृत की क्लास मे गुरूजी ने पूछा = पप्पू इस श्लोक का अर्थ बताओ. “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन”..
पप्पू = राधिका शायद रस्ते मे फल बेचने का काम कर रही है.? .
गुरूजी = मूर्ख, ये अर्थ नही होता है. चल इसका अर्थ बता:- “बहुनि मे व्यतीतानि, जन्मानि तव चार्जुन.” ? .
पप्पू = मेरी बहू के कई बच्चे पैदा हो चुके हैं, सभी का जन्म चार जून को हुआ है.?? .
गुरूजी गुस्सा हो गये फिर पुछा :- “तमसो मा ज्योतिर्गमय”
पप्पु= तुम सो जाओ माँ मैं ज्योति से मिलने जाता हुँ.??? .
गुरूजी = अरे गधे, संस्कृत पढता है कि घास चरता है. अब इसका अर्थ बता:- “दक्षिणे लक्ष्मणोयस्य वामे तू जनकात्मजा.” .
पप्पू = दक्षिण मे खडे होकर लक्ष्मण बोला जनक आजकल तो तू बहुत मजे मे है. .
गुरूजी = अरे पागल, तुझे १ भी श्लोक का अर्थ नही मालूम है क्या ?
पप्पू = मालूम है ना. ?
गूरूजी = तो आखरी बार पूछता हूँ इस श्लोक का सही सही अर्थ बताना.- हे पार्थ त्वया चापि मम चापि…….! . क्या अर्थ है जल्दी से बता.
पप्पू = महाभारत के युद्ध मे श्रीकृष्ण भगवान अर्जुन से कह रहे हैं कि…….. ?? .
गुरूजी उत्साहित होकर बीच मे ही . कहते हैं = हाँ, शाबास, बता क्या कहा श्रीकृष्ण ने अर्जुन से……..? ? .
पप्पू = भगवान बोले = अर्जुन तू भी चाय पी ले, मैं भी चाय पी लेता हूँ. फिर युद्ध करेंगे. गुरूजी बेहोश………….. ???????
टीचर: तुम्हें पता है हमारे पूर्वज बन्दर थे। जाट: थारे होंगे, महारे तो चौधरी थे।?