वो घर पे भूल आया था कई फरमाइशें बाकी,
बीमार बीवी की पर्ची बकाया फीस बिटिया की,
महीना आधा बाकी था खाली था पूरा बटुआ,
अभी तो पिछले महीनों की बकाया थी जो बनिया की,
फटे जूतों रफू कपड़ों में जिंदगी गुजार लेता है,
पिता परिवार पर अपनी खुशियां वार देता है।
– राज