पग-पग जब हो डगमग, तब मिलेगी तुमको सीख
संघर्ष इसे ना कहना, ये है चलन की रीत
छू लोगे ऊचाईयाँ, दोगे गगन को चीर
डटकर जो तुम लगे रहे, होगी कदमो में जीत
गिरो जो तुम हर बार अगर, रखना थोड़ा मन में सबर
बीज को पौधा बनने में, आती है उलझन डगर-डगर
गिरने की प्रथा, चली है आई
कोशिश करने की, कहाँ है मनाई
हर पल गिरते कदमो से, लेना सीख व करना अगुवाई
अंतिम क्षण पर पहुँचकर, तुम मान ना लेना हार
जीत उसी की होती है, जो कोशिश करते हर बार।
– नीलम सिंह