अौकात नहीं थी ज़माने में जो हमारी कीमत लगा सके..
कंबख़्त इश्क में क्या गिये, मुफ़्त में नीलाम हो गये..
- औकात शायरी
कहां कोई मुझमें ऐसी बात मौला
तेरे दम से मेरी औकात मौला
- औकात शायरी
एड़िया उठा कर चलने से कद नहीं बढ़ता,
रकीबों से कह दो, अपनी औकात मे रहें
- औकात शायरी
एक माचिस की तिल्ली,
एक घी का लोटा,
लकड़ियों के ढेर पे
कुछ घण्टे में राख…..
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात !!!!
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एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया ,
अपनी सारी ज़िन्दगी ,
परिवार के नाम कर गया।
कहीं रोने की सुगबुगाहट ,
तो कहीं फुसफुसाहट ,
….अरे जल्दी ले जाओ
कौन रखेगा सारी रात…
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात!!!!
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मरने के बाद नीचे देखा ,
नज़ारे नज़र आ रहे थे,
मेरी मौत पे …..
कुछ लोग ज़बरदस्त,
तो कुछ ज़बरदस्ती
रो रहे थे।
नहीं रहा.. ……..चला गया……….
चार दिन करेंगे बात………
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात!!!!!
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बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा ,
सामने अगरबत्ती जलायेगा ,
खुश्बुदार फूलों की माला होगी ……
अखबार में
अश्रुपूरित श्रद्धांजली होगी………
बाद में उस तस्वीर पे ,
जाले भी कौन करेगा साफ़…
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात !!!!!!
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जिन्दगी भर ,
मेरा- मेरा- मेरा किया….
अपने लिए कम ,
अपनों के लिए ज्यादा जीया …
कोई न देगा साथ…जायेगा खाली हाथ….
क्या तिनका
ले जाने की भी
है हमारी औकात ???
ये है हमारी औकात
- Family Shayari, औकात शायरी
कितने कमजर्फ है ये गुब्बारे
चन्द सांसो में फूल जाते है!!
नीच को जब उरूज मिलता है
अपनी औकात भूल जाते है!!
– आजाद सीकरी
- औकात शायरी