सियासत इस कदर आवाम पे
अहसान करती है
पहले आंखे छीन लेती है
फिर चश्मे दान करती है।
- Kadar Shayari, राजनीति शायरी
सियासत के फ़रिश्तों से अगर आज़ाद हो जाए।
तो ये कश्मीर जन्नत की तरह आबाद हो जाए।।
है जिनके हाथ में पत्थर, क़िताबें दे के तो देखो।
सबक़ कुछ अम्न का उनको भी शायद याद हो जाए।।
गँवारा है नहीं तुमको मेरा दैर -ओ- हरम आना।
तो फिर तुम मय-कदा आओ के कुछ इरशाद हो जाए।।
उड़े जब से परिन्दे हैं, नहीं लौटे हैं पेड़ों पर।
वो लौटें फिर से, कोई रास्ता ईजाद हो जाए।।
कयादत करने वालों को ‘अकेला’ ये खबर कर दो।
तुम्हारी नातवानी से न सब बरबाद हो जाए।।
– अकेला इलाहाबादी
- Jannat Shayari, Philosophy Shayari, राजनीति शायरी
तुम भी किसी को लूटने के लायक हो जाओ
अजी छोड़ो ये शराफत तुम विधायक हो जाओ
- फनी शायरी, राजनीति शायरी
न हिंदू को सुकूँ है न मुसलमान को है चैन
सियासत मज़े में थी सियासत मज़े में है
- Hindu Muslim Shayari, राजनीति शायरी
हुआ करती थी राजनीति भी कभी एक परदा नशीं औरत…
अब सड़कों पर उतर आई है सशक्तिकरण की चाह में…
- Parda Shayari, राजनीति शायरी