अब इस से बढकर… गुनाह-ए-आशिकी क्या होगी
जब रिहाई का वक्त आया…
तो पिंजरे से महुब्बत हो चुकी थी
- Aashiqui Shayari
फरेब था हम आशिकी समझ बैठे
मौत को अपनी जिन्दगी समझ बैठे
वक्त का मजाक था या बदनसीबी
उनकी दोस्ती की दो बातो को हम प्यार समझ बैठे
- Aashiqui Shayari
आगाज़-ए-आशिक़ी का मज़ा आप जानिए
अंजाम-ए-आशिक़ी का मज़ा हम से पूछिए..!!
- Aashiqui Shayari
आशिकी में तेरी बीता, वो फ़साना याद है,
तेरी उल्फत का मुझे, गुज़रा ज़माना याद है।
कब मिले, कैसे मिले, कुछ नहीं है याद अब,
तीर जो दिल पर लगा था वो निशाना याद है।
मेरे लाख कहने पर भी फ़ोन ना रखना तेरा,
मेरी ज़िद के चलते तेरा,रूठ जाना याद है।
कौन लगता हूं मैं तेरा, पूछता है जब ये तू,
शर्म से मेरा लजाकर, मुस्कुराना याद है।
क्या ख़बर थी ये”हिना”को,ज़िंदगी बन जाएगा वो,
मुझको तो बस बेखुदी में, दिल लगाना याद है।
- Aashiqui Shayari, Zamana Shayari
आशिकी के दौर का कुछ ऐसा कमाल है
अक्स-ए-हुस्न देखा आईने मे ,दिल बेहाल है
– शिखा लाहिरी
- Aaina Shayari, Aashiqui Shayari