अब ये न पूछना कि… ये अल्फाज़ कहॉ से लाता हूॅ
कुछ चुराता हूॅ दर्द दूसरों के, कुछ अपना हाल सुनाता हूॅ
- Alfaaz Shayari
खामोशी तुम समझ नहीं रहे,
अल्फाज़ अब बचे नहीं..
- Alfaaz Shayari
ज़िन आँखों को तू तकता था वो आँखें पत्थर हैं अब
ज़िन आँखों मैं ख्वाब कई थे उन्मे तू बस्ता था तब
धुन्धली सी यादे हैं कुछ सहमे से कुछ राज़ भी हैं
खोई सी नाजुक घढ़ियाँ, गज़लों के कुछ अल्फाज भी हैं
कहाँ हुई ओझल वो शामे कहाँ गया वो प्यार तेरा
जब आँखो मैं सागर उतरा डूब गया संसार मेरा
एक तबाही फिर से करदे यादों मैं सुर्खी आ जाए
एक नया सागर फिर ऊमढ़े फिर गम को तेरे पा जाए
बार बार जो मर के देखे कोई ऐसा भी दिलदार सही
शक की गुंजाइश कुछ ना रहे की हमको तुझसे प्यार नहीं !
– Yamini
- Alfaaz Shayari, Khwab Shayari, याद शयरी
अल्फ़ाज़ तय करते हैं फ़ैसले किरदारो के,
उतरना दिल मे है,या उतरना दिल से है !!
- Alfaaz Shayari
बेवफाई को भी तेरी, इक राज रखा हैं मैंने
बेपनाह मोहब्बत का ये अंदाज रखा हैं मैंने
गनीमत हैं ये कलम भी तुझसे बदतमीजी करें
मेरी शायरी में भीे तेरा, लिहाज रखा हैं मैनें।
छलकती हैं आज भी कभी तनहाई मेेें आँखे
तो लगता हैं की तुझे ही, नाराज रखा हैं मैंने।
तुझे खोकर जैसे, खौफ-ए-खुदा भी न रहा
तेरे बाद तो यही अपना मिजाज रखा हैं मैंने।
मोहब्बत’ के मायने भी तुझसे ले के तुझी पे थे
अब तो मेरे पास सिर्फ ये अल्फाज रखा हैं मैंने।
- Alfaaz Shayari, Bepanah Shayari, Khuda Shayari