बेवफाई को भी तेरी, इक राज रखा हैं मैंने
बेपनाह मोहब्बत का ये अंदाज रखा हैं मैंने
गनीमत हैं ये कलम भी तुझसे बदतमीजी करें
मेरी शायरी में भीे तेरा, लिहाज रखा हैं मैनें।
छलकती हैं आज भी कभी तनहाई मेेें आँखे
तो लगता हैं की तुझे ही, नाराज रखा हैं मैंने।
तुझे खोकर जैसे, खौफ-ए-खुदा भी न रहा
तेरे बाद तो यही अपना मिजाज रखा हैं मैंने।
मोहब्बत’ के मायने भी तुझसे ले के तुझी पे थे
अब तो मेरे पास सिर्फ ये अल्फाज रखा हैं मैंने।
- Alfaaz Shayari, Bepanah Shayari, Khuda Shayari
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कुछ अल्फ़ाज़ की तरतीब से, बनती है शायरी…
कुछ चेहरे भी मुकम्मल, ग़ज़ल हुआ करते हैं…!
- Alfaaz Shayari
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इजहार- ए- इश्क की खातिर कई अल्फाज़ सोचे थे ,
खुद को ही भूल बैठे हम जब तुम सामने आये !!
- Alfaaz Shayari, Pyar Ka Izhar Karne Wali Shayari
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लिख देना ये अलफाज मेरी कब्र पर
कि मौत अच्छी है लेकिन दिल लगाना अच्छा नहीं..
- Alfaaz Shayari, Maut Shayari
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यूं ना पूछो सरेआम उदासी की वजह मेरी…
अल्फाज़ गर निकले तो रिश्ते सभी बेनकाब होंगे…
- Alfaaz Shayari, उदास शायरी
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