कुछ अलग ही करना है तो वफ़ा करो,
वरना मजबूरी का नाम लेकर बेवफाई तो सभी करते है
- Majburi Shayari
बदल जाओ वक्त के साथ या फिर वक्त बदलना सीखो,
मजबूरियों को मत कोसो, हर हाल में चलना सीखो…
– Tahir Ashraf
- Badalna Shayari, Majburi Shayari, Philosophy Shayari, हौसला बढ़ाने वाली शायरी
वो आखरी खत जो तुमने लिखा था
तेरे हर खत से कितना जुदा था
मजबूरियों का वास्ता देकर मुकर जाना तेरा
गुनहगार वो वक़्त था या खुदा था
बड़ी मुश्किल से समेटा था खुद को
वो पल भी मुश्किल बड़ा था
शिकायत करते भी तो किस से करते
जब अपना मुकद्दर ही जुदा था
जल रहे थे ख्वाब मिट रहे थे अरमान
तू लाचार और मेरा प्यार बेबस खडा था
मेरा दिल ही जनता है क्या गुजरी थी
जब आंसुओं में डूबा वो आखरी खत पढ़ा था
– नीतू ठाकुर
- Khuda Shayari, Majburi Shayari, Shikayat Shayari
अपनी वो मुलाकात कुछ अधुरी सी लगी,
पास होके भी थोडी दूरी सी लगी,
होठो पे हसी आंखो मे मजबूरी सी लगी,
ज़िन्दगी मे पहेली बार किसी की दोस्ती इतनी ज़रूरी लगी..
- Dooriyan Shayari, Majburi Shayari, Mulakat Shayari
नविश्ता था, जो हो गया, इसमें तेरी ख़ता नहीं..
चलो मान लेते हैं तू मजबूर था, बेवफा नहीं…
– Smita Wadkar
(नविश्ता – written)
- Majburi Shayari