Nafrat Shayari - नफरत भरी शायरी
वो मुहब्बत भी तेरी थी वो नफरत भी तेरी थी…
वो अपनापन और ठुकराने की अदा भी तेरी थी…
हम अपनी वफा का इंसाफ किससे माँगते..
वो शहर भी तेरा था और अदालत भी तेरी थी
- Nafrat Shayari नफरत भरी शायरी, अदा शायरी
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मेरी जिंदगी को तमाशा बना दिया उसने,
भरी महफ़िल में तनहा बिठा दिया उसने,
ऐसी क्या थी नफरत उसको इस मासूम दिल से,
खुशियाँ चुराकर गम थमा दिया उसने,
बहुत नाज़ था उसकी वफ़ा पर कभी हमको,
मुझको ही मेरी नज़रों में गिरा दिया उसने,
खुद बेवफा था मेरी वफ़ा की क्या कदर करता,
अनमोल थी मै और खाक में में मिला दिया उसने..
- Kadar Shayari, Nafrat Shayari नफरत भरी शायरी, Nazar Shayari
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झूठी नफ़रत को जताना छोड़ दे,
भिगो के ख़त मेरे जलाना छोड़ दे.
-नज़ीर मलिक.
- Jhoot Shayari, Nafrat Shayari नफरत भरी शायरी
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तेरी औकात से ज्यादा की थी मोहब्बत तुझसे,
अब नफ़रत का आलम है सोच तेरा क्या होगा !!
– Saroj
- Nafrat Shayari नफरत भरी शायरी, औकात शायरी
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प्यार करता हूँ इसलिए फ़िक्र करता हूँ.
नफरत करूंगा तो जिक्र भी नही करूंगा.
- Nafrat Shayari नफरत भरी शायरी
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