रौशनी के लिए शमा तो जला लिया महफ़िल में,
कुछ पता भी है के दर्द जलने का होता क्या है.
– नज़ीर मलिक
- Roshni Shayari
नफरतों को जलाओ तो,मोहब्बत की रौशनी होगी,
इंसान तो जब भी जले हैं,राख ही हुए हैं.!!
- Roshni Shayari
धुआँ धुआँ है फ़ज़ा रौशनी बहुत कम है
सभी से प्यार करो ज़िंदगी बहुत कम है
मक़ाम जिस का फ़रिश्तों से भी ज़ियादा था
हमारी ज़ात में वो आदमी बहुत कम है
हमारे गाँव में पत्थर भी रोया करते थे
यहाँ तो फूल में भी ताज़गी बहुत कम है
जहाँ है प्यास वहाँ सब गिलास ख़ाली हैं
जहाँ नदी है वहाँ तिश्नगी बहुत कम है
ये मौसमों का नगर है यहाँ के लोगों में
हवस ज़ियादा है और आशिक़ी बहुत कम है
तुम आसमान पे जाना तो चाँद से कहना
जहाँ पे हम हैं वहाँ चाँदनी बहुत कम है
— शक़ील आज़मी
- Roshni Shayari
दिल को जलाकर जो रौशनी अता करते हैं,
वो मिस्ल ए आफ़ताब ज़माने में चमकते हैं।
– खालिद
- Roshni Shayari
रौशनी में कुछ कमी रह गयी हो तो बता देना हमें,
दिल आज भी हाजिर है जलने के लिये
- Roshni Shayari