Ek alag hi pehchaan banane ki aadat hai humein…
Zakhm ho jitna gehra utna muskurane ki aadat hai humein…
- Aadat Shayari, Zakhm Shayari
जिन्दगी तुझको जिया है कोई अफ़सोस नहीं,
ज़हर ख़ुद मैंने पिया है कोई अफ़सोस नहीं
मैंने मुजरिम को भी मुजरिम न कहा दुनिया में,
बस यही जुर्म किया है कोई अफ़सोस नहीं
मेरी क़िस्मत में जो लिखे थे उन्ही काँटों से,
दिल के ज़ख्मों को सिया है कोई अफ़सोस नहीं
अब गिरे संग के शीशों की हो बारिश ‘फ़ाकिर’,
अब कफ़न ओढ़ लिया है कोई अफ़सोस नही।
-सुदर्शन फ़ाकिर
- Afsos Shayari In Hindi, Kafan Shayari, Zakhm Shayari, किस्मत पर शायरी
बरबाद करके मुझे उसने कहा , फिर से करोगे मोहब्बत..
ज़ख्मी था दिल, मगर होठो ने कहा ” इंशाअल्लाह “
- Barbad Shayari, Zakhm Shayari
जब लगे ज़ख्म तो क़ातिल को दुआ दी जाये
क्योंकि चाहते हैं हम
मरहम लगाने की रस्म भी क़ातिल के जरिये ही अदा की जाये
- Dua Shayari, Kaatil Shayari, Zakhm Shayari, अदा शायरी
तेरी आरज़ू मेरा ख्वाब है,….
जिसका रास्ता बहुत खराब है,…
मेरे ज़ख़्म का अंदाज़ा ना लगा,…
दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है….
– Rao
- Khwab Shayari, Zakhm Shayari, तमन्ना शायरी, रास्ता शायरी